Menu
blogid : 25176 postid : 1334742

रोटी और ग़ज़ल

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी उवाच
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी उवाच
  • 175 Posts
  • 2 Comments

नसीब नहीं होता रोटी को ग़ज़ल का साथ,
कभी रोटी खा जाती है ग़ज़ल को, कभी रोटी को ग़ज़ल।

बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
उर्फ़
अजय अमिताभ सुमन

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh