थमते नहीं हैं आँसू, दीन-ओ-आवाम के, चलो गजल कुछ मीठे जज्बात दे आएं, हँसा सके सबको , ये है नहीं मुकम्मल, चलो “बेनाम” प्यार की बरसात दे आएं।
बेनाम कोहड़ा बाज़ारी उर्फ़ अजय अमिताभ सुमन
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