ना ऐब तुझमे ना ऐब मुझमे, “बेनाम” कसक बस ये थी, ख्वाहिशें तेरी कुछ ज्यादा, व हैसियत मेरी कुछ कम थी।
बेनाम कोहड़ा बाज़ारी उर्फ़ अजय अमिताभ सुमन
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