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इंसान की तरह-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी उवाच
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी उवाच
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न पूरा समंदर के माफिक, न खाली आसमान की तरह,
“बेनाम” जिए  तो क्या जिए  ,महज एक इंसान की तरह।

बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
उर्फ़
अजय अमिताभ सुमन

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