Menu
blogid : 25176 postid : 1325458

आदमी वाले आंसू-बेनाम कोहड़ा बाजारी

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी उवाच
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी उवाच
  • 175 Posts
  • 2 Comments

एक आदमी
सो सकता है,
जब
नींद नहीं आती।

एक आदमी
खा सकता है ,
जब
क्षुधा नहीं सताती।

जानवर
उकसाने पर
गुर्राते हैं ,
आदमी गुर्राने को
उकसाता है।

जानवरों के
मौसम होते है
प्यार करने को,
आदमी को
मौसम बेमौसम
प्यार का भुत
सताता है।

और

आदमी की आँखों से
झर सकते है
घड़ियाली आसूँ
पर घड़ियालों से
नहीं आ सकते
आदमी वाले आंसू

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh