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निष्कर्ष-बेनाम कोहड़ाबाजारी

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी उवाच
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी उवाच
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धर्मं की तलाश में
युयुत्शु की तरह अपना पक्ष बदला
इधर से उधर तक
तलाशा धरती के इस कोने से उस कोने तक
पर यही जाना
कि केन्द्र से परिधिगत दुरी हमेशा एक सामान रहती है
यानि कि तलाश जो कि
शुन्य से शुरु हुई थी
वो शुन्य के गिर्द और
शुन्य तक ही रही
और पहचाना कि दुनिया गोल है.


अजय अमिताभ सुमन
उर्फ
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

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