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जय हो-बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी उवाच
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी उवाच
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जय हो , जय हो
नितीश तुम्हारी जय हो .
जय हो एक नवल बिहार की .
सुनियोजित विचार की .
और सशक्त सरकार की .
कि तेरा भाग्य उदय हो .
तेरी जय हो .


जाति-पाति पोषण के साधन
कहाँ होते ?
धर्मं आदि से पेट नहीं
भरा करते .

जाति पाति की बात करेंगे जो

मुह की खायेंगें .
काम करेंगे वही यहाँ
टिक पाएंगे .


विकास विकास और विकास
संकल्प सही तुम्हारा है .
शिक्षा और सुशासन चहुँ ओर
तुम्हारा नारा है .

हर गांव नगर घर और डगर डगर

हर रात दिन वर्ष और हर पहर
नितीश तुम्हारा यही सही है एक विचार
हो उर्जा का समुचित सुनियोजित संचार


रात घनेरी बीती
सबेरा आया है .
जन-गण मन में व्याप्त
नितीश का साया है .


गौतमबुद्ध की धरा
इस पावन संसार में .
लौट आया सम्मान
शब्द बिहार में .


हर गली गली में जोश
उमंग अब छाया है .
बलरहित बाहुबली
मलीन कान्त काया है .


है विश्वास नितीश भारत को
सबक सिखाओगे .
है विकास मंत्र जनतंत्र की
पाठ पढ़ाओगे.


है बात दिले बेनाम
काश ये हो पाता.
भारत को भी एक नितीश
गर मिल पाता.


फिर जाति –पाति करने वाले
मिट जायेंगे .
धर्मं आदि के जोंक कहाँ
टिक पाएंगे .


फिर भारत का परचम
चहुँ ओर लहराएगा .
आर्यावर्त का नाम
धरा पे छाएगा .


भारत को भी अब
नितीश की तलाश है .
सुधर नेता ही इस
देश कि आस है .


कुत्सित राजनीतिज्ञों का
बेनाम क्षय हो .
भारत तेरी शक्ति बढे
आसिमित अक्षय हो .
राष्ट्र को कोटि कोटि नमन
तेरी विजय हो .
तेरी जय हो, तेरी जय हो.

अजय अमिताभ सुमन
उर्फ
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

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